1. ई बुढ़वा झगड़ा रोप कर अपने तो दऊ पर गया आउर जिनगी भर का किचाइन माथे पर डाल गया, इमिरतिया बरसातू को साइकिल से आते देख कर भुनभुना रही थी। चुप रह तनि पानी त दे.....बरसातू अपनी साइकिल मड़ई के किनारे खड़ी करके झिलंगही खटिया पर ठहते हुए बोला। आज भी दिन भर कचहरी मे ही बीत गया था उसका। वकील से भी बतकुच्चन हो गया पता नही काहे जब तारीखे पड़ना था, तो दिन भर बैठा कर एक दिन की मजूरी मरवाने का का मतलब, उसने पानी लेकर खड़ी अपनी पत्नी से बोलते हुए लोटा थाम लिया। ठेकेदरवा कल फिर टोकेगा कि या तो मुकदमा लड़ लो या राजगिरी करो। फिर सोचा उसका भी दोष नही है, जिसका काम फंसेगा उ तो बोलेगा ही। 2. मसला पुराना है, बरसातू के बाप को भाइयों से बटवारे मे जो हिस्सा मिला था, उससे सटी हुई थोड़ी सी सार्वजनिक जमीन भी थी। अतिरिक्त सार्वजनिक जमीन के कारण उसके हिस्से की जमीन रकबे मे थोड़ी बड़ी हो गयी थी। जमीन के उस अतिरिक्त हिस्से पर पर बरसातू के बाप ने अपने बूढ़ी गाय और बकरी की नाद, चरनी बना ली थी। उसी अतिरिक्त हिस्से के लिए भाइयों मे आपस मे काफी गाली-गलौज हुई थी, उनकी पत्नियों ने भी महीनों इस गाली-गलौज को विस्
कोरोना त्रासदी की रचना्त्मक अभिव्यक्तियां विभिन्न प्रकार के माध्यमों से लोकप्रिय हो रहीं है। जिसमें आजकल एक चर्चित रैप बम्बई में का बा भी काफी लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित और मनोज बाजपेयी द्वारा अभिनीत यह रैप चन्द घण्टों में ही हिन्दी पट्टी पर छा गया मानो सड़क पर भूखे प्यासे घिसटते हुए घर वापस आए पूरबिया के आहत स्वाभिमान पर मरहम लगा गया। इस रैप में पुरबिया ने वर्गफुट में घमण्ड करने वालों को बताया कि हमलोग बिगहा (जमीन के क्षेत्रफल की एक देशज इकाई जिसमें एक बीघे या बिगहे में लगभग 17452 वर्गफुट होता है) में अपना घर दुआर रखते हैं। यानि इस रैप का नायक उस बिहार का प्रतिनिधित्व नही कर रहा है जहां के ग्रामीण क्षेत्र में 65 प्रतिशत परिवार भूमिहीन है अपितु यह नायक बिहार के उस हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है जिसके पास इतना भूगोल है कि वो महानगर में वर्गफुट में जीने वालों की खिल्ली उड़ा सके। सामाजिक संरचना में यह हैसियत बिहार और उत्तर प्रदेश में पूर्वाचंल के सवर्ण और ताकतवर पिछड़े समुदाय से आने वाले उस विपन्न युवक की है जिसकी सारी प्रतिभा